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अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस – 2020

[English below]

साल 2020 को कोरोना का साल कहा जा सकता है. और इस आंधी ने समाज के कई खिड़की और दरवाज़े खोले और छिपी हुई सच्चाइयां सामने लाई. कैसे सरकार लाखो मजदूरो को अपने घर से दूर और सड़को पर मरने के लिए छोड़ सकती है, लेकिन हाईवे पर बने स्कूल खोल के उनके रहने खाने का इंतज़ाम नहीं करा सकती. और कैसे प्राइवेट कम्पनियों को लाखों करोड़ो रुपया दिया जा सकता है, लेकिन, प्राइवेट अस्पतालों से फ्री में कोरोना के टेस्ट नहीं कराए जा सकते.

ये सच, ये वर्ग संघर्ष, नया नहीं है. अरबपति वर्ग को खुश रखने के लिए ही इस देश के लाखों मजदूरों से “कर्मचारी” का दर्ज़ा तक छीन लिया गया है, कॉट्रैक्टरों के जाल में फसा दिया गया है. इसलिए हम 12 घंटे काम करके भी अपना घर नहीं चला सकते लेकिन इस देश के अमीर हर 1 घंटे में 3 करोड़ से ज़ादा कमा रहे है. इस वर्ग संघर्ष को अरबपति वर्ग आज जीत रहा है इसलिए लोग भुकमरी, कोरोना और खुदकुशी कर मर रहे है.

लेकिन इस अरबपति वर्ग के लालच और वेह्शत के बावजूद इस समय भी मेहनत और मजदूरी करने वाले वर्ग ने इंसानी जज़्बे की भव्यता को दिखाया है. डॉक्टर, नर्स, सफाई कर्मचारी, डिलवेरी राइडर्स, फ़ोन लाइन सुधारने वाले टेक्निशंस, और ऐसी नौकरियां करने वाले हजारों मजदूर जो अपर्याप्त या बिना सुरक्षा सामग्री के सबको सुरक्षित रखने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे है. वो लोगों को मोहल्ला और बस्तियों में घर घर जा कर खाना और ज़रूरी सामान देने वाले. और वो लाखो महिलाए जो बगैर किसी पगार दिन रात घर पर काम कर रही है और इस महामारी और लॉकडाउन का सबसे ज़ादा बोझ उठा रहीं है.

इस इंसानियत और एकता के जज़्बे का एक संगठित रूप मुक्तिवादी एकता मोर्चा है. अरबपति वर्ग अपनी ताकत बढ़ाने और अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए संगठित है और रोज़ इस वर्ग संघर्ष को लड़ रहा है. अगर श्रमिक वर्ग को अपना जीवन बेहतर बनाना है, ये डर, भूख और ज़िल्लत के जीवन से बहार निकलना है और एक ऐसी दुनिया बनानी है जहाँ गरीबी ना हो और इंसान के साथ इंसानो की तरह बर्ताव किया जाए, ना की औज़ार या जानवर की तरह तो हमें भी संगठित होना पड़ेगा.

समय बैठ कर इंतज़ार करने का नहीं है. कोई किसी को बचाने नहीं आएगा. जो भी ये कहे की वो तुम्हे बचाने आया है, सबसे पहले उससे बचो. सिर्फ हम खुद खुद को बचा सकते है. इस मजदूर दिवस पर मुक्तिवादी एकता मोर्चा से जुड़े और अपने, अपने वर्ग और इंसानियत के बेहतर भविष्य की लड़ाई का हिस्सा बने.

[English]

The year 2020 can be called the year of corona virus. This storm broke many windows and doors of society and brought out the hidden truths. How  government can  leave millions of workers to die in their homes and on the streets, but they can’t make arrangements for their stay and food on closed schools along the highways. And how private companies can be given millions of crores of rupees, but free corona testing cannot be carried out in private hospitals.

This class struggle is not new. To keep the billionaire class happy, even the status of ’employee’ has been snatched from millions of workers of this country, who remain trapped in a web of contractors. So we can’t run our homes even by working 12 hours but the rich in this country are earning more than 3 crores every hour. The billionaire class is winning this class struggle today, which means people are dying of hunger, corona, and suicide.

But despite the greed and barbarism of this billionaire class, the hard work of the working class has shown the grandeur of the human spirit. Doctors, nurses, cleaning staff, delivery riders, phone line technicians, and thousands of workers who are risking their lives and working without safety equipment to keep everyone else safe. Also, those who are distributing food and essential supplies to homes and settlements. And the millions of women working at home day and night without wages while bearing the highest burden of this epidemic and lockdown.

Muktivadi Ektra Morcha (Libertarian Unity Front) is an organized form of this human spirit and unity. The billionaire class is organized to increase its strength and achieve its goal and is fighting this class struggle every day. If the working class has to make its life better, to get out of the life of fear, hunger, and humiliation and to create a world where there is no poverty and humans are treated as humans, not as tools, objects, or animals then, we too have to organize ourselves.

This is not the time to sit and wait. No one is coming to save anyone. Whoever says that he has come to save you, firstly save yourself from them. Only we can save ourselves. Join Muktivadi Ekta Morcha on this Workers’ Day and be part of the struggle for a better future for yourself, your community, and humanity.