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कोविड -19 महामारी के सम्बन्ध में मांग और बयान।

[English below]

कोरोनावायरस और बगैर समुचित व पर्याप्त व्यवस्था के लागू किए गए लॉकडाउन का असर मजदूर वर्ग पर घातक साबित हो रहा है। सिर्फ दिल्ली में ही एक लाख मजदूरों को काम बंद होने के कारण घर पर बिना पगार बैठना पड़ रहा है। यही नहीं, रेल व अंतर्राज्यीय बस जैसे सार्वजनिक यातायात के साधनों के बन्द किए जाने की वजह से बहुत सारे मजदूरों को सैकड़ों किलोमीटर पैदल अपने गाँव वापस लौटना पड़ रहा है! यह संकट मध्य प्रदेश में भी उतना ही गंभीर है।

स्वास्थ्य कर्मचारी इस संकट में सबसे अगली लाइन में खड़े हैं। सरकारी तन्त्र की लापरवाही के कारण उनके पास पर्याप्त सुरक्षा साधन भी नहीं हैं। इसके अलावा, तमाम तरह की ज़रूरी सेवाएँ लोगों तक पहुँचाने वाले मज़दूर भी लगातार खतरे का सामना कर रहे हैं।

मुक्तिवादी एकता मोर्चा उनके साथ मिलकर केंद्र व मध्य प्रदेश सरकार से इन असुरक्षित और बहादुर मजदूरों के लिए विशेष सुरक्षा और देखभाल की मांग करता है।

हमारी माँगें:

1. कंपनियां और सरकार यह सुनिश्चित करे कि अनौपचारिक क्षेत्र के मजदूरों को, चाहे उनकी कंपनी उन्हें ‘मजदूर’ का दर्जा देते हों या नहीं, मासिक 7000 रुपए का कामबंदी मुआवजा मिले।

2. उच्च गुणवत्ता वाले सुरक्षा गियर – मुखौटा, दस्ताने आदि – सभी डिलीवरी कर्मियों, सफाई कर्मियों और सभी आवश्यक सेवाओं में कार्यरत मजदूरों को मुहैया कराया जाए।

3. इस महामारी के दौरान – और आगे भी – सफाई और डिलीवरी कर्मियों जैसे मजदूरों को नियमित मजदूर का दर्जा मिले और उनकी पगार, डिलेवरी रेट्स और बूस्ट रेट्स बढ़ाएं जाएँ ताकि उन्हें अपने घर को चलाने के लिए 12 घंटे काम ना करना पड़े।

4. अनियमित रोज़गार वाले या बेरोज़गार मज़दूरों को भी न्यूनतम मासिक भत्ता दिया जाए।

5. सभी मज़दूरों के परिवारों और उन पर आश्रित व्यक्तियों को मुफ्त राशन, ईंधन, दवाएँ व देखरेख तत्काल मुहैया कराया जाए।

 

[English]

Coronavirus and the effect of the lockdown implemented without proper and adequate planning are proving fatal to the working class. In Delhi alone, one lakh workers have to sit at home without pay, due to the shutdown.

Not only this, due to the closure of public transport means such as rail and interstate buses, many workers have to return to their villages on foot hundreds of kilometers! This crisis is equally serious in Madhya Pradesh.

Health workers stand in the forefront of this crisis. Due to the negligence of the government machinery, they do not even have adequate protection equipment. Apart from this, the workers delivering all kinds of essential services to the people are also facing constant danger.

The Muktivadi Ekta Morcha (MEM) together with the workers demand from the Central and Madhya Pradesh government special protection and care for these insecure and brave laborers.

Our demands:

1. Companies and the government should ensure that workers in the informal sector, whether their company gives them ‘laborer’ status or not, get a monthly compensation of Rs 7000.

2. High quality safety gear – mask, gloves etc. – should be provided to all delivery personnel, cleaning personnel and workers employed in all essential services.

3. During this epidemic – and even further – workers like cleaning and delivery workers get regular laborer status and increase their wages, delivery rates and boost rates so that they do not have to work for 12 hours to sustain themselves.

4. Minimum monthly allowance should also be given to irregularly employed or unemployed laborers.

5. Free ration, fuel, medicines and care should be provided immediately to all the workers’ families and their dependents.